स्किज़ोफ्रेनिया या मनोविदिलता क्या है? What is Schizophrenia?

Schizophrenia

दुनिया का सबसे भयावह और अनुवांशिक रोग स्किज़ोफ्रेनिया या मनोविदिलता ओमनीकेयर हेल्थ हाउस के मानसिक रोग जागरूकता कार्यक्रम के अंतर्गत जाने एक जटिल रोग स्किज़ोफ्रेनिया के बारें मे जिससे लगभग 2.73% लोग पीड़ित है और लोगो की नासमझी के कारण इलाज़ जीवन भर चलता रहता है और रोगी कभी भी सामाजिक और क्रियात्विक जीवन शैली को छू नहीं पाते l साथ ही साथ ये हर रूप से परिवार को अस्त व्यस्त केर देता है और अन्य परिवार के अन्य सदस्यों मैं इसके होने की सम्भावना को बढ़ा देता है

स्किज़ोफ्रेनिया

स्किज़ोफ्रेनिया का अर्थ है मनुष्य के मशतिष्क और व्यवहार में कोई समबंध न रहना अर्थात इसकी सामान्य सामाजिक व्यवहार तथा वास्तविकता को पहचान पाने में असमर्थता।

मनोविदलता (Schizophrenia/स्किज़ोफ्रेनिया) एक गंभीर मानसिक विकार है। लगभग 1% लोगो में यह विकार पाया जाता है। इस रोग में रोगी के विचार, संवेग, तथा व्यवहार में आसामान्य बदलाव आ जाते हैं जिनके कारण वह अपनी जिम्मेदारियों तथा अपनी देखभाल करने में असमर्थ हो जाता है। यह कोई जानलेवा बीमारी नहीं पर मनुष्य से उसका सामाजिक जीवन छीन लेती है और उसके कार्य करने की क्षमताएँ एक लंबे समय में धीमे –धीमे कम होती जाती है और प्राय: वो शून्य पर चली जाती है और ऐसा प्रतीत होता है कि व्यक्ति कई वर्षों से कोई भी उद्देश्य और सफलता को हासिल नहीं कर पाया |

सिज़ोफ्रेनिया के कुछ प्रमुख लक्षण हैं

जैसे कि शुरूआत में

• शुरूआत में व्यक्ति लोगों से कटा-कटा रहने लगता है या अकेला रहने लगता है,तथा काम में मन नहीं लगा पाता

• कुछ समय बाद उसकी नींद में बाधाएं आने लगती हैं,

• मरीज़ पेरशान रहने लगता है, तथा उसके हाव-भाव में कुछ अजीब बदलाव आने लगते हैं,

• वह कुछ अजीब हरकतें करने लगता है जिसके बारे में पूछने पर वह जवाब देने से कतराता है,

• समय के साथ-साथ यह लक्षण बढ़ने लगते हैं जैसे कि नहाना धोना बंद कर देना, गंदगी का अनुभव नहीं होना

• वह अपनी जिम्मेदारियों तथा जरूरतों का ध्यान नहीं रख पाता,

• रोगी अक्सर खुद ही मुस्कुराता या बुदबुदाता दिखाई देता है,

• रोगी को विभिन्न प्रकार के अनुभव हो सकते हैं जैसे की कुछ ऐसी आवाजे सुनाई देना जो अन्य लोगों को न सुनाई दें, कुछ ऐसी वस्तुएं, लोग, या आकृतियाँ दिखाई देना जो औरों को न दिखाई दे, या शरीर पर कुछ न होते हुए भी सरसराहट, या दबाव महसूस होना, आदि,

• रोगी को ऐसा विश्वास होने लगता है कि लोग उसके बारे में बातें करते है, उसके खिलाफ हो गए हैं, या उसके खिलाफ कोई षड्यंत्र रच रहे हो,

• उसे नुकसान पहुँचाना चाहते हो, या फिर उसका भगवान् से कोई सम्बन्ध हो, आदि,

• रोगी को लग सकता है कि कोई बाहरी ताकत उसके विचारो को नियंत्रित कर रही है, या उसके विचार उसके अपने नहीं है,

• रोगी असामान्य रूप से अपने आप में हंसने, रोने, या अप्रासंगिक बातें करनें लगता है,

• रोगी अपनी देखभाल व जरूरतों को नहीं समझ पाता,

• रोगी कभी-कभी बेवजह स्वयं या किसी और को चोट भी पंहुचा सकता है,

• रोगी की नींद व अन्य शारीरिक जरूरतें भी बिगड़ सकती हैं।

यह आवश्यक नहीं की हर रोगी में यह सभी लक्षण दिखाई पड़े, इसलिए यदि किसी भी व्यक्ति में इनमे से कोई भी लक्षण नज़र आए तो उसे तुरंत मनोचिकित्सकीय सलाह लेनी चाहिए।

सिज़ोफ्रेनिया किसी भी जाति, वर्ग, धर्म, लिंग, या उम्र के व्यक्ति को हो सकता है। अन्य बीमारियो की तरह ही यह बीमारी भी परिवार के करीबी सदस्यों में आनुवंशिक रूप से जा सकती है इसलिए मरीज़ के बच्चों, या भाई-बहन में यह होने की संभावना अधिक होती है।

अत्यधिक तनाव, सामाजिक दबाव, तथा परेशानियाँ भी बीमारी को बनाये रखने या ठीक न होने देने का कारण बन सकती हैं। मस्तिष्क में रासायनिक बदलाव, या कभी-कभी मस्तिष्क की कोई चोट भी इस बीमारी की वजह बन सकती है।

सिज़ोफ्रेनिया के प्रकार

1. सिम्पल सिज़ोफ्रेनिया

इच्छाशक्ति मे कमी , असामान्य विचार , निर्णय लेने कि क्षमता मे कमी , चेहरे पे भावों कि कमी , कार्यक्षमता में गिरावट और रोगी का सामाजिक रूप से कटे कटे रहना |

2. पैरानॉयड सिज़ोफ्रेनिया

कुछ ऐसी आवाजे सुनाई देना जो अन्य लोगों को न सुनाई दें, कुछ ऐसी वस्तुएं, लोग, या आकृतियाँ दिखाई देना जो औरों को न दिखाई दे, या शरीर पर कुछ न होते हुए भी सरसराहट, या दबाव महसूस होना, रोगी को ऐसा विश्वास होने लगता है कि लोग उसके बारे में बातें करते है, उसके खिलाफ हो गए हैं, या उसके खिलाफ कोई षड्यंत्र रच रहे हो, उसे नुकसान पहुँचाना चाहते हो, रोगी को लग सकता है कि कोई बाहरी ताकत उसके विचारो को नियंत्रित कर रही है, या उसके विचार उसके अपने नहीं है,

3. डिसऑर्गनाईज्ड सिज़ोफ्रेनिया

लंबे समय से चला आ रहा सिज़ोफ्रेनिया का एक प्रकार जिसमे व्यक्ति असामान्य हरकते और बेतरतीब बातें करना तथा उसकी रहन सहन का भी असामान्य हो जाना जैसे साफ सफाई ना रखना और गर्मी में भी वस्त्रों को अपने से लपेटे रखना और सर्दी में भी कपड़े ना पहनना |

4. काटाटॉनिक सिज़ोफ्रेनिया

रोगी का चुप हो जाना या अत्यधिक तेज़ी में आ जाना , पेशियों मे तनाव व कडा हो जाना , हाथ पैरों कि मुद्रा में मोम जैसी बेतरतीब प्रकार का लचिलापन आ जाना |

5. अन्डिफरेन्शीऐटिड सिज़ोफ्रेनिया

अन्य सभी प्रकार के सिज़ोफ्रेनिया के लक्षणो का मिला जुला रूप एक प्रकार से ऐसे लक्षण जिनहे किसी अन्य सिज़ोफ्रेनिया के रूप मे परिभाषित नहीं किया जा सकता है |

6. रेसीडुयल सिज़ोफ्रेनिया

लगातार रोगी में सिज़ोफ्रेनिया के नकारात्मक लक्षणो का बना रहना और बहुत कम तीव्रता के विभ्रम , भ्रम और असामान्य व्यवहार का बने रहना |

इलाज:

• इस रोग का इलाज़ प्राय आजीवन है इलाज़ का मुखी उद्देश्य है रोगी को आजीवन समाज मे व्यवस्थित रखना और किसी भी स्तथि में उसके कार्यक्षमता में गिरावट ना आने देना और रोगी का एक सामनी व्यक्ति से भी ज्यादा अच्छी तरह अपने जीवन के लक्ष्यों को प्राप्त कर पाना |

• ये रोग पूरे परिवार को प्रभावित करता है और आनुवांशिक होने की वजह से इस रोग का ठीक रहना पूरे परिवार के लिए एक अच्छा संदेश होगा यानि की परिवार के किसी भी सदस्य मे ये रोग ठीक होने मे पूरे परिवार का सहयोग अपेक्षित है |

• इस रोग को दूर करने के लिए आजकल नई दवाईयों का इस्तेमाल हो रहा है जो कि काफी प्रभावशाली व सुरक्षित हैं,

• कुछ नयी प्रकार के इंजेक्शन जो 3 से 6 माह मे एक बार लगते हैं उपलब्ध है|

• दवा के साथ-साथ रोगी को सहायक इलाज़ (सप्पोर्टिव थिरेपी) की भी आवश्यकता होती है।

• लक्षण दूर हो जाने पर भी दवा का सेवन तब तक न रोकें जब तक की चिकित्सक न कहें समय से पहले दवा का सेवन रोकने से बीमारी दोबारा हो सकती है,

• चिकित्सक जब भी जाँच के लिए बुलाएँ समय पर जाँच जरूर करायें, भले ही रोगी पुरी तरह से लक्षणमुक्त क्यों न हो,

• विवाह करने के बारे में पूरी जानकारी अपने चिकित्सक से अवश्य लें

• यदि रोगी स्त्री है तो उसे गर्भधारण से पहले मनोचिकित्सक की सलाह लेना आवश्यक है,

• ताकि उसकी उसकी दवा में सही अनुपात में परिवर्तन करके उसको तथा गर्भ को किसी भी नुकसान से बचाया जा सके,

• स्तनपान कराते हुए भी चिकित्सकीय सलाह लेना आवश्यक है,

• रोगी की नींद व पोशक भोजन का ध्यान रखें, स्किजोफ्रेनिया के इलाज के लिए जो दवा दी जाती हैं वे काफी सुरक्षित हैं।

परन्तु कुछ दवाईयों से निम्नलिखित अनावश्यक प्रभाव (साइड एफेक्ट्स) हो सकते हैं जैसे कि-

• हाँथ-पैर की कम्पन, थर्थाराना

• अत्याधिक सुस्ती का रहना,

• लार टपकना,

• शरीर का कड़ा हो जाना,

• जुबान ल्रड़खड़ाना,

• वजन बढ़ने लगना, आदि।

इन अनावश्यक प्रभावों के होने पर दवा का सेवन रोके नही, क्योकि यह समय के साथ अपने आप ही कम हो जाते है तथा इनको रोकने के लिए सामान्य सी सावधानियाँ भी रखी जा सकती हैं और चिकित्सक इनको पूरी तरह से ठीक रखने के सुझाव दे देते हैं |

स्किज़ोफ्रेनिया का रोगी मुख्य लक्षणों के दूर होने के बाद दवा लेते हुए बिल्कुल सामान्य जीवन जी सकता है। वह अपनी क्षमता के अनुसार नौकरी कर सकता है, पढ़ सकता है, दोस्त बना सकता है तथा अपने सभी सपने पूरे कर सकता है।

सिज़ोफ्रेनिया का रोगी लक्षण मुक्त होने के बाद शादी कर सकता है, परन्तु उसे ध्यान रखना होगा की उसके जीवन में आए नए परिवर्तनो का असर उसकी नींद, तथा दवा पर न पड़े। यदि रोगी स्त्री हैं तो वह बिना डाक्टरी सलाह के गर्भ धारण न करें। सिज़ोफ्रेनिया के रोगी के बच्चों में यह रोग अनुवांशिक रूप से जा सकता है, परन्तु ऐसा हमेशा हो यह ज़रूरी नहीं है।

निष्कर्ष : –

ओमनी केयर हैलट हाउस मैं आकर आप शत प्रतिशत निदान पाने के उपायों को जाने या किसी भी मनो: चिकित्सक से परामर्श ले l

By: Dr R.K. Thukral

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