डिप्रेशन क्या है? डिप्रेशन पर एक व्याख्यान के कुछ अंश अवसाद रोग /डिप्रेशन

depression

अवसाद रोग विश्व में सबसे ज्यादा पाए जाने वाला सबसे प्रमुख रोग है जो प्रायः हर व्यक्ति के जीवन में कभी न कभी अवश्य होता है | महिलाओं में इसके जीवन में कभी भी होने की संभावना 40 प्रतिशत और पुरुषों में 30 प्रतिशत तक रहती है |समाज में अवसाद की व्यापकता लगभग 31.7 प्रतिशत है |गाँवों में इसकी व्यापकता लगभग 36 प्रतिशत और शहरों में लगभग 27 प्रतिशत तक हो सकती है| इसके अतिरिक्त महिलाओं में अवसाद रोग 37.5 प्रतिशत, अकेले रहने वालों में 40 प्रतिशत , जो व्यक्ति परिवार के साथ नहीं रहते उनमे 65 प्रतिशत , कम आय वाले लोगों में 34 प्रतिशत, जिनके जीवन में अत्यधिक तनाव रहता है उनको 71 प्रतिशत , जोड़ों के दर्द से पीड़ित रहने वालों को 43.9 प्रतिशत , मोतियाबिंद से पीड़ित लोगों को 25.2 प्रतिशत, ब्लड प्रेशर से प्रभावित लोगों को 17.6 प्रतिशत, मधुमेह से प्रभावित व्यक्तियों को 27.6 प्रतिशत, ह्रदय रोग से प्रभावित व्यक्तियों को 13 .9 प्रतिशत अवसाद रोग निश्चित रूप से हो जाता है |अवसाद की वजह से काम काज करने की क्षमताओं में अत्यधिक कमी आ जाती है जो अवसाद रोग की तीव्रता को बढ़ा देता है और अन्य शारीरिक रोगों का कारण भी बनता है| अवसाद में आत्महत्या करने की प्रवृत्ति बनी रहती है और लगभग 90 प्रतिशत आत्महत्या करने वाले व्यक्ति में अवसाद से पीड़ित होते हैं | आत्महत्या करने से पहले प्राय: व्यक्ति इस दिशा में कई बार असफल प्रयास कर चुके होतें है | यदि उपर लिखे आंकलन को एक वाक्य में व्यक्त किया जाए तो अवसाद रोग होने की संभावना गाँव के निवासियों में, महिलाओं में, अशिक्षित लोगों में, अकेले रहने वाले व्यक्तियों में, जीवन में अत्यधिक तनाव होने वाली घटनाओं से और जो व्यक्ति जटिल रोगों से पीड़ित हैं उनमें अत्यधिक प्रबल रहती है |

डिप्रेशन :

उदासी की स्थिति या अवसाद रोग – हम सब कभी कभी किसी तनाव, दुर्भाग्य या विपत्ति के समय उदास या डिप्रेस्ड महसूस करते हैं, यह एक साधारण प्रतिक्रिया है जो परेशान और दुखी करने वाली होती है और प्रायः बहुत ज्यादा देर तक नहीं रहती | परन्तु कभी कभी यह भावना हमारे साथ जुड़ जाती है या देर तक बनी रहती है एवं यह बहुत तीव्र हो जाती है यहाँ तक कि ये व्यक्ति के रोजाना के काम काज पर अत्याधिक प्रभाव डालने लगती है तब यह डिप्रेशन या अवसाद रोग हो सकता है | डिप्रेशन एक सामान्य समस्या है, जो कि हर किसी के जीवन को किसी न किसी समय में प्रभावित करती है Iअवसाद रोग या मेजर डिप्रेशन के लक्षण सामान्य उदासी का एक गंभीर रूप है I अवसाद रोग के लक्षण व्यक्ति में विभिन्न प्रकार के हो सकते है |

उदासी की स्थिति या अवसाद के लक्षण – अवसाद के कई लक्षण हैं, जो किसी को कम मात्रा और किसी को बहुत अधिक हो सकते हैं| इनमे प्राय यह सब निमन प्रकार से होते हैं :-

• नींद का ठीक नहीं रहना I

• नींद का बिलकुल न आना, या रात में या सुबह के समय कई बार नींद का टूटना |

• मरीज़ के सोने का नियम इस तरह बदल सकता है कि वो प्रायः सुबह उठने के समय से बहुत घंटे पहले ही उठ जाते हों या देर तक सोते रहते हों |

• इसके साथ हर समय मन उदास रहना, किसी चीज़ में आनंद न आना, विशेषकर उन प्रक्रियाओं में भी रूचि समाप्त हो जाना जिनमें पहले बहुत आनंद मिलता था I

• ध्यान न लगना I

• थकान महसूस करना जैसे की किसी काम के लिए शक्ति नहीं हैं या सारा दिन बिस्तर में पड़े रहने को मन करना I

• बिना कारण रोते रहना I

• किसी से बात करने को या बाहर जाने को मन न करना I

• मन में नकरात्मक ख्याल आना और बेबस महसूस करना I

• निराश और बेकार महसूस करना|

• स्वच्छता , खुद की देखभाल और दैनिक कार्यों पर ध्यान न देना |

• अपने आप को दोषी मानने की भावना बहुत तेज़ हो सकती हैं|

• भूख ना लगना |

• धीमे – धीमे या तेज़ी से शारीरिक वजन में कमी आना |

• कामेच्छा में रूचि का आभाव |

• सुबह और शाम के समय महसूस होने वाली उदासी में फर्क होना, जैसे- सुबह के समय बहुत उदासी होना और सांयकाल होते तक उसका ठीक हो जाना या सुबह की बजाय शाम को ज्यादा उदासी होना या हर समय उदासी का बना रहना| • उदासी के साथ चिंता/व्याकुलता की भावना हो सकती है|

• कभी कभी मरीज़ उत्तेजित महसूस कर सकते हैं|

• कभी कभी नकारात्मक भावनाएं इतनी तीव्र हो सकती हैं कि मरीज़ को लगता है कि वो कभी ठीक ही नहीं हो सकते|

• मरीज़ बुरे की ही आशा करते हैं. वो अपने काम में असफलता, धन की क्षति और अपने स्वास्थ्य में गिरावट का ही अनुमान कर सकते हैं|

• अपने आप को नुकसान (हानि) पहुंचा सकते हैं और आत्महत्या करने की भी सोच सकते हैं |लोगों को डिप्रेशन क्यों होता है … कारण ?

डिप्रेशन या अवसाद होने के कई कारण हो सकते हैं , जो मानव की प्रकृति के उपर निर्भर करता है | क्यूंकि विभिन्न व्यक्तियों में तनाव के कारण भी अलग अलग होते हैं , हर व्यक्ति की समस्याएं अलग अलग होती हैं , अतः उनमे होने वाले अवसाद के कारण भी विभिन्न हो सकते हैं| यदि कोई व्यक्ति एक लम्बे समय से किसी कारणवश तनाव से प्रभावित है तो वो धीरे –धीरे अवसाद रोग से ग्रसित हो जाता है |

अवसाद के कारण :- अवसाद किसी भी व्यक्ति को हो सकता है| ऐसे कई कारण हैं जिससे लोगों को अवसाद रोग या मेजर डिप्रेशन जैसी समस्याएं घेर लेती हैं |

अधिक काम का दबाव अक्सर यह देखा जाता है कि लोगों में उनकी क्षमता से अधिक काम के दबाव के कारण उनमे तनाव होने लगता है जो बाद में डिप्रेशन का कारण बन जाता है| किसी काम में बार-बार असफलता मिलने पर किसी महत्वपूर्ण कार्य को पूरा ना कर पाने की अवस्था में भी डिप्रेशन होने लगता हैं | इस प्रकार का डिप्रेशन प्रमुख रूप से विभिन्न कार्य क्षेत्रो से जुडी जीवनशैली/ जॉब स्ट्रेस की वजह से लोगों में देखा जा सकता है |छात्रों में डिप्रेशन छात्रों में मुख्यरूप से डिप्रेशन उनकी पढाई और अधिक नंबर पाने की इच्छा के तनाव को लेकर होता है | अक्सर परीक्षा के समय वे देर रात तक जाग कर पढ़ते हैं , इससे उनके मष्तिष्क में रासायनिक परिवर्तन होने के कारण डिप्रेशन होने लगता है |युवक युवतियों में प्रेम से जुडी भावनाओं में विफलता के कारण परन्तु ये किसी भी उम्र में देखा जा सकता है | शारीरिक बीमारियों के कारण लम्बे समय तक किसी विशेष जटिल शारीरिक बीमारी से पीड़ित व्यक्ति भी अवसाद का शिकार हो जाता है | कुछ शारीरिक बीमारियाँ जैसे डायबिटीज एंड हाइपरटेंशन कुछ समय बाद अवश्य ही अवसाद में परिवर्तित हो जाते हैं|अन्य कारण डिप्रेशन जीवन में घटने वाली घटनाओं की वजह से हो सकता है , जैसे कि किसी प्रिय व्यक्ति कि मृत्यु, धन सम्बंधीं चिंता, कर्जा, अत्यधिक अपेक्षाएं , जल्दी जल्दी सब कुछ पाने की लालसा, हमेशा तुलना करने की प्रवृति , इर्ष्या, आपसी संबंधों की समस्या, नौकरी का खोना इत्यादि | बिना कारण के उदासी कई बार लोग बिना किसी खास कारण के उदास महसूस करते हैं जिसे भीतरी अवसाद /ऐंडोजीनस डिप्रेशन कहा जाता है जो की पूरी तरह से आनुवंशिक होता है और ये बार बार होता है | शारीरिक उदासी/ साइकोसोमेटिक डिसऑर्डर कई बार डिप्रेशन के लक्षण केवल शारीरिक ही हो सकते हैं, और यह व्यक्ति को पता नहीं होता कि यह डिप्रेशन है

जैसे :

मनो: पेट, मनो : ह्रदय , मनो : त्वचा , मनो ऐंडोक्राइनो , मनो : मधुमेह , मनो : रक्तचाप , मनो , वर्टिगो या चक्कर आना, मनो : शारीरिक संवेदनाएं, मनो : केश , मनो : वायु विकार , मनो: दौरे, बेहोशी या हिस्टीरिया आदि | डिप्रेशन के प्रकार कुछ लोग हल्का अवसाद महसूस करते है और कुछ लोगों में अवसाद के लक्षण अत्यधिक हो सकते हैं| तीव्रता के अनुसार डिप्रेशन की श्रेणियाँ हैं :- हल्की, मध्यम और तीव्र कई बार डिप्रेशन के साथ असंख्य शारीरिक लक्षण भी हो सकते हैं जैसे की ऊपर बताया गया है | कभी कभी शरीर में हमेशा दर्द बना रखना अवसाद का ही एक मुख्य रूप हो सकता है| डिप्रेशन का इलाज़ होने पर ये सब लक्षण ठीक हो जातें हैं | डिप्रेशन के साथ अनिद्रा , चिंता / व्याकुलता , सर दर्द होना , दिल की धड़कन तेज होना , श्वास छोटा होना या श्वास लेने की गति का बढ़ जाना , खाना निगलने में मुश्किल, उल्टी या मितली महसूस होना , बार बार बाथरूम जाना , पीला पड़ना , चक्कर आना , मासपेशियों में दर्द , शरीर का काँपना , ज्यादा पसीना आना , ब्लड प्रेशर कम ज्यादा होना ,थकावट होना | अवसाद में इन्ही प्रकार की असंख्य संवेदनाएं हो सकती हैं |

डिप्रेशन के मुख्य प्रकार निम्न है :

1. प्रमुख अवसाद / मेजर डिप्रेशन – Major Depressive Disorder

2. दीर्घकालिक अवसाद या हमेशा बना रहने वाला अवसाद / डिसथाइमिया या क्रोनिक अवसाद – Dysthymia and Chronic Depression

3. द्विध्रुवी अवसाद / बाइपोलर डिप्रेशन – Bipolar Depression

4. ऋतुओं के अनुरूप होने वाला अवसाद विकार / सीजनल इफेक्टिव या मौसम प्रभावित डिप्रेशन – Seasonal Affective Disorder

5. असामान्य मानसिक अवसाद / सायकोटिक डिप्रेशन – Psychotic Depression

6. प्रसव के उपरान्त होने वाला अवसाद / पोस्टपार्टम डिप्रेशन – Postpartum Disorder

7. पीरियड्स से पूर्व अवसाद की समस्या / प्री मेन्सट्रूअल सिंड्रोम – Pre Menstrual Syndrome

8. कठिन / विषम परिस्थितियों में होने वाला अवसाद / सिचूएसनल डिसोर्डर – Situational Disorder (Depressive Type)

9. विचित्र अवसाद / एटिपिकल डिप्रेशन – Atypical Depression

10. जघन्य घटनाओं एवं विपदा से जुड़े अवसाद / पोस्ट ट्रौमैटिक स्ट्रैस डिसोर्डर – PTSD

11. अवसाद के मनो: शारीरिक रूप / सायको सोमेटिकडिप्रेशन – विभिन्न उच्च संस्थानों के सर्वेक्षण से यह ज्ञात होता है की मेडिकल ओपीडी अटेंड करने वाले 70 – 95% मरीज प्राय: जीवन भर विभिन्न शारीरिक रोगों से ग्रसित रहते हैं और चिकित्सा विभागों के चक्कर लगाते रहते है और कभी ठीक नहीं हो पाते| साथ ही साथ इन सब रोगों की जाँचों मे भी कभी कुछ नहीं निकलता| अत्याधुनिक जैसे थ्री-डी ब्रेन स्पेक्ट फार ह्यूमन बिहेवियर से इन सब रोगों का कारण जाना जा सकता है जो रोगी के मस्तिष्क के विभिन्न अंगों की क्षीणता से जुड़ा रहता है |

12. पोस्ट मीनोपौसल डिप्रेशन – Post Menopausal Depression

13. सियूड़ो डिमेंशिया – Pseudo Dementia

14. डिमेंशिया से जुड़ा अवसाद – Dementia with BPSD

डिप्रेसन से होने वाली समस्याएं एवं उनका निदान अपने पारिवारिक चिकित्सक या मनोचिकित्सक को अवसाद का कारण जरूर बताएं ताकि वो इसमे आपकी सहायता भली प्रकार से कर सके | यदि आपके मनो: चिकित्सक को पूरी सच्चाई का पता होगा तो ही वह आपकी समस्या का ठीक तरह से निदान कर सकेगा |

• उम्र या परिस्थितियाँ कुछ भी हो, अवसाद किसी को भी हो सकता है| इसे बताने में किसी भी प्रकार की हिचकिचाहट रखने की अवश्यकता नहीं है| आरंभिक अवस्था में इसका निदान पूरी तरह से संभव है|

• यदि अवसाद को पूर्ण रूप से ठीक न कराया जाये तो इसके बार – बार होने की संभावना जीवन भर बनी रहती है और धीरे धीरे ये समस्त शारीरिक रोगों का कारण बनता है और मानसिक क्षमताओं को भी कमी की ओर ले जाता है |

• डिप्रेशन कि आरंभिक अवस्था में प्राय: दवा कि आवश्यकता नहीं पड़ती और ये कुछ सप्ताह बाद केवल काउन्सेलिंग से ठीक हो सकता है | आपका पारिवारिक चिकित्सक इस बारे में आपको सलाह दे सकता है |

• यदि यह ठीक नहीं होता तो आपको मनो:चिकित्सक से परामर्श लेने कि अवश्यकता है | मनो:चिकित्सक आपको इस बारे में अधिक बेहतर ढंग से बता सकतें है| क्योंकि अवसाद रोग पुन: -पुन: होने वाला रोग है इसलिए आपको एक उचित निर्देशन में इसका इलाज़ कराने कि आवश्यकता है |

• यदि मध्यम या तीव्र डिप्रेशन हो तो आपको एंटी डिप्रेसेंटस (अवसाद दूर करने की औषधिया) की जरूरत हो सकती है| एंटी डिप्रेसेंटस का असर शुरू होने में दो या तीन सप्ताह लग जाते है |अवसाद रोग की औषधियां आप पूरी तरह से मनो:चिकित्सक के निर्देशन में ही लें| यह नियमित रूप से ली जाती है और दिमाग के अंदर विशेष रसायनो की प्रक्रिया में परिवर्तन लाकर यह आपको ठीक करने में सहायक होती है|

• आजकल कई प्रकार के एंटी डिप्रेसेंटस (अवसाद रोग दूर करने की औषधियाँ) उपलब्ध है जिनके साईड इफेक्ट्स (कुप्रभाव) न के बराबर है और आवश्यकतानुसार इसे कई सालो तक लिया जा सकता है | धीमे – धीमे मनो:चिकित्सक के निर्देशन में अपने व्यवहार और जीवनशैली में परिवर्तन लाकर इन्हें पूर्णतयः बंद किया जा सकता है |

• कई बार एंटी डिप्रेसेंटस ( अवसाद की औषधि ) अचानक बंद करने से या किसी भी वजह से कुछ लोगों में एक भी खुराक छूट जाने के कारण या उनकी मात्रा कम करते समय क्षणिक परेशानिया हो सकती है | यह प्रभाव कभी हल्का और कभी ज्यादा हो सकता है इसको लेकर बिलकुल भी परेशान होने की आवश्यकता नहीं है, आवश्यकतानुसार आप अपने मनो:चिकित्सक की सहायता लेंकर तुरंत ही ठीक हो जाते हैं |

• अवसाद के पूरी तरह से ठीक होने के बाद भी दवा की मात्रा ललेनी पड़ती है जिसको बंद करने के लिए विशेष रूप से जीवनशैली में परिवर्तन और व्यक्ति के स्वभाव की कमियों को चिन्हित करके उसमे इस तरह के परिवर्तन लाये जाते हैं जिससे वो अपने आप को रिलैक्स्ड , प्रसन्नचित और प्रफुल्लित मुद्रा में रख सके |

• इसमें दो प्रकार से काउंसलिंग की जाती है जिसमें पहली काउंसलिंग व्यक्तित्व की कमियों की दिशा में होती है और दूसरी बायोफीडबैक पर रोगी स्वयं अपनी तनावमुक्त स्तिथि को देख सकता है और बाद में बिना बायोफीडबैक के अपने को उसी स्तिथि में रखने का प्रयास एक लम्बे समय तक करता रहता है जब तक की उसे शरीर को रिलैक्स्ड रखने का अभ्यास न हो जाये | ये रिलैक्सेशन किसी भी मोबाइल एप्लीकेशन पर दिन में जब चाहे आप नाप सकते हैं |

• व्यायाम भी स्वाथ्य को बेहतर बनाने और अवसाद को ठीक करने में सहायता करता है | आमतौर पर प्रतिदिन 45 मिनट से एक घंटे व्यायाम जरूर करना चाहिए या हफ्ते में कम से कम इसके तीन सैशन अपने दिनचर्या में शामिल करें जब तक की पूरी तरह से रोगी रोगमुक्त न हो जाये |

• यदि किसी को तीव्र डिप्रेशन बार बार होता हो तो उसे एंटी डिप्रेसेंटस के साथ कॉग्निटिव बिहेवियर थेरेपी (डिप्रेशन के इलाज़ का एक मनोवैज्ञानिक उपाय ) दोनों को साथ साथ लेने की सलाह दी जाती है | आपका चिकित्सक बीमारी के फिर से हो जाने को रोकने के लिए कुछ सालो तक एंटी डिप्रेसेंटस लेते रहने की सलाह दे सकता है, आप एंटी डिप्रेसेंटस लेकर एकदम साधारण जीवन बिता सकते हैं |

• बहुत अधिक डिप्रेशन होने की अवस्था में अस्पताल में दाखिल होने की आवश्यकता हो सकती है| मरीज को भर्ती कराना इन रोगों के इलाज़ में काफी सहायक होता है | क्यूकी भर्ती रहने की प्रक्रिया रोगी को एक नया वातावरण देती है , जिसमे रोगी अपनी समस्या को सोचने के लिए ज्यादा समय दे पाता है | रोगी दिये गए सुझावो का पालन भी मनोचिकित्सक के देख रेख में ठीक तरह से कर पात है | इस वातावरण में घर के वातावरण से संबन्धित किसी तरह का कोई दबाव नहीं होता है जो परिवार में प्राय: रोग को बढ़ाने का कारण बने रहते थे | भर्ती होने से रोगी मनोचिकित्सक द्वारा बताए जाने वाले व्यावहारिक , मनोवैज्ञानिक व्यायाम , योग एवं अन्य सुझाव प्रतिदिन नियमित रूप से कर पाते हैं जो रोगी की आजीवन सहायता करते हैं और रोगी को मूल रूप से ठीक होने की स्थिति में ले आते हैं|

अवसाद मे सहायता के लिए और क्या किया जा सकता है?

• अपनी निश्चित दिनचर्या निर्धारित करें व उसी के अनुसार कार्य करें |

• निश्चित करें कि अच्छी तरह नींद पूरी हो – सुबह देर तक न सोये व् रात में देर तक ना जागें |

• जागने के २ घंटे के अन्दर स्नान अवश्य कर लें |

• नहानें के बाद 10 मिनट तक शांत मन से आँखें बंद करके बैठ जायें व सारे विचार मन से निकालकर ह्रदय की गति व् लय पर ध्यान केन्द्रित करें |

• दिन के समय न सोये |

• स्वस्थ भोजन खाएं, खूब फल और सब्जियां खाएं |

• तनाव से बचा जाये या उसका निदान किया जाये ये आपकी सकारात्मक सोच से ही हो सकता है , इसे अपनाए |

• चिंता और परेशानी के बारे में अपने परिवार वालों से, अपने मित्रो से या अपने डॉक्टर से बात करें, इसे मन में न रखें |

• शाम को देर से चाय या कॉफ़ी पीने से परहेज़ करें|

• रात को देर से भारी खाना खाने से परहेज़ करें और रात को सोते वक्त ज्यादा तेज़ बत्ती जलती न रखें |

• शराब (मदिरा) डिप्रेशन को और विकृत करती है इसको और जटिल बनाती है एवं प्राय: अवसाद के रोगियों को मदिरा लेने की आदत पड़ जाती है| मदिरा का सेवन उदासी के रोगियों को मना है|

• किसी भी क्रियात्मक रूचि का विकास अपने अन्दर करिए व प्रतिदिन कम से कम 15 मिनट का समय अपनी रूचि के अनुसार कार्य जैसे : नृत्य , संगीत , पेंटिंग , सिलाई , कढाई , बागवानी , पढना , क्राफ्ट , विभिन्न खेल डायरी लिखना इत्यादि शरीर और दिमाग को क्षीणता से बचाते है और तनाव से मुक्त रखते हैं |

• सप्ताह में एक दिन परिवार के साथ मनोरंजन के लिए अवश्य निकालें |

By: Dr R.K. Thukral

Comments (2)

  1. Informative

  2. Very helpful

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