ADHD (एडीएचडी ) क्या है? What is ADHD?

बच्चो में अत्यधिक चंचलता, अस्थिरता और एकाग्रता का अभाव जो किसी भी परिवार के लिए है जीवन भर का कभी भी ख़त्म न होने वाला तनाव इसका निदान अवश्य कराये और बचाए अपने बच्चे का भविष्य और न उभरने दे उसमे एक अपराधिक और

विद्रोही व्यक्तित्व ADHD क्या है ?

एडीएचडी अर्थात अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिव डिसऑर्डर या एडीडी, दिमाग से संबंधित विकार है जो बच्चोंव और बड़ों दोनों को होता है। मूलतः बच्चों में ह रोग असंख्य समस्याएं पैदा करता है और ठीक से इलाज न लेने पर जीवन भर बना रहता है| दूसरे शब्दों में कहा जाए तो अटेंशन डेफिसिट हायपरएक्टिविटी यानी एडीएचडी का मतलब है, किसी चीज़ पर ध्यान केंद्रित करने की क्षमता का अभाव होना। एक अनुमान के मुताबिक स्कूपल के 30 % बच्चे एडीएचडी से प्रभावित हैं जिनमें 8% से 12% को इलाज की आवश्यकता होती है | यहाँ तक की वयस्कों में भी ये समस्या बनी रहती हैं और उनको कई प्रकार से जीवन भर परेशान रखती है |

बच्चों में एडीएचडी के लक्षण

• एक जगह पर ना बैठ पाना, व्याकुल रहना।

• बातें भूलना व बहुत ज्यादा चंचल होना।

• अपनी बारी का इंतज़ार ना कर पना, संयम ना रख पाना।

• बच्चे द्वारा निर्देशों का पालन ना करना, उन्हें न सुनना और न ही उन पर ध्यान देना।

• स्कूल और घर पर लापरवाही से ढेरों मामुली सी गलतियां करना।

• किसी भी कार्य को सही ढंग से ना करना।

• नोटबुक व होमवर्क आदि भूल जाना।

• अक्सर क्लास में चिल्लाना।

• अत्यधिक गुस्सा, जिद करना , और हर समय अपनी बात को मनवानें की कोशिश करना

वयस्कों में एडीएचडी के लक्षण

• आसानी से किसी भी चीज से ध्यान हट जाना।

• योजनाबद्ध ना होना। बातें भूल जाना।

• बातों में टालमटोल करना।

• हमेशा देरी से काम करना।

• हमेशा उदासी भरा रहना। डिप्रेशन में रहना।

• नौकरी की समस्या पैदा होना।

• जल्द ही किसी भी बात पर बेचैन होना।

• ड्रग या किसी और नशीली चीज़ की लत होना।

• रिश्तों से जुड़ी समस्याएं होना।

• उग्र स्वभाव का होना |

• छोटी – छोटी बातों पर गुस्सा करना |

• किसी भी बात को आसानी से न मानना |

• हमेशा किसी भी काम में अडंगा लगाना |

एडीएचडी / एडीडी का निदान

इसके लक्षणों के आधार पर ही इस बीमारी का निदान संभव है। इसके लिए विशेषज्ञ बच्चेी की मेडिकल हिस्ट्री की जांच कर सकता है, वह परिवार के अन्यध सदस्यों से इस बारे में पूछ सकता है। इसके अलावा चिकित्स क यह भी देखता है कि बच्चें को कोई अन्य% परेशानी तो नही है जिसके कारण वह ऐसा व्योवहार कर रहा है।

इसके बाद सुनने और देखने की क्षमता, चिंता, अवसाद या अन्य व्यवहार समस्याओं की जांच की जाती है। इसके लिए अपने बच्चे को एक विशेषज्ञ (आमतौर पर मनोवैज्ञानिक, मनोचिकित्सक या न्यूरोसाईक्याट्रिस्ट)के पास परीक्षण के लिए भेजिए। इसमें बच्चेै का पूरा साईकोमेट्रिक परिक्षण कर समस्या का संपूर्ण रूप से अध्ययन किया जाता है और इस आधार पर पूरा मैनेजमेंट प्लान किया जाता है|

एडीएचडी के प्रकार

सधारताया ये तीन प्रकार का होता है

1) एडीएचडी मिक्स्ड टाइप

2) एडीएचडी इनअटेंनटिव टाइप

3) एडीएचडी हाइपरकाइनेटिक टाइप

परन्तु 3D ब्रेन स्पेक्ट के आधार पर ये 12 से 16 प्रकार का हो सकता है

डॉक्टुर को कब संपर्क करें

एडीएचडी की समस्या बच्चों में कोई साधारण बात नहीं है| एडीएचडी के लक्षण दिखाई देने पर माता-पिता को जल्द से जल्द मनोचिकित्सक की सलाह लेनी जरूरी है। बच्चों में इस समस्या को दूर करने के लिए मेडिसीनल ट्रीटमेंट दिया जा सकता है। बिहेवियर थैरेपी के जरिए भी इसका उपचार किया जाता है।

एडीएचडी का इलाज जरूरी क्यूँ है एवं इसके क्या परिणाम हो सकते हैं ?

– स्कूल परफॉरमेंस में कमी या लगातार स्कूल से मिसबिहेवयएर की शिकायतों का आना |

– अकादमिक परफॉरमेंस में लगातार गिरावट आना जैसे – क्लास 5 से 8 तक फर्स्ट आना और उसके बाद बार – बार फेल होना |

– झूट बोलना और चोरी करना

– किसी भी काम को ठीक से ना कर पाना

– जीवन स्तर व पेशे में आगे न बढ़ पाना

– धीमे – धीमे नशे की तरफ झुकना और उसकी लत हो जाना

– मूड डिसऑर्डर रोग का हो जाना

– अपराधिक प्रवृति का बनना एवं अपराध से जुड़ना

– कंडक्ट डिसऑर्डर / एंटीसोशल पर्सनालिटी (विपक्षी अवज्ञापूर्ण विकार और आचरण विकार)

– व्यग्र एवं विद्रोही व्यक्तित्व

– इन सबकी वजह से बार- बार कानूनी झमेलों की चपेट में आना

– कभी भी किसी का विश्वसनीय व्यक्ति न बन पाना

– समय पर काम पर न पहुचना और कार्यों को न कर पाने के लिए झूठे तर्क देना

By: Dr R.K. Thukral

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